शाल और धोखा
शाल और धोखा
सर्दियों की सुबह मुंह अंधेरे दूध वाले ने एक सज्जन के घर का दरवाजा जोर-जोर से खटखटाया तो वह हडबड़ाकर उठे। पत्नी सोई हुई थी। उसे जगाना उन्होंने उचित नहीं समझा और जल्दी में पत्नी का शाल ओढकर बाहर चले गए। दूध की बाल्टी उनके हवाले करने से पहले दूध वाले ने उनको बांहों में भरकर चूम लिया तो वह हैरान रह गए। कमरे में पहुंचे तो पत्नी जाग चुकी थी। उस सज्जन ने हंसते हुए कहा- 'आज बड़ी अजीब बात हुई, दूध वाले ने धोखे में मुझे चूम लिया। शायद उसकी पत्नी ऐसी शाल ओढ़ती होगी, जैसी तुम्हारी है।
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