गधा या घोड़ा !
गधा या घोड़ा !
मुंबई में दूर गाँव से आया एक नौजवान नौकरी की तलाश में दिन भर भटकता रहता है। रात में सोने की जगह नहीं होने के कारण वो गाँधीजी की एक प्रतिमा के नीचे लेट जाता है।
रात के दो बजे उसे कोई जगा देता है । आँखे खोलकर नौजवान देखता है कि उसके सामने गाँधीजी स्वयं खड़े हैं। वो पूछता है, क्या बात है बापूजी ? बापूजी बोले, 'बेटा, तुमने तो देखा होगा कि जहाँ कहीं भी मेरी प्रतिमा बनी है वहाँ मुझे खड़ा हुआ या चलता हुआ बताया जाता है। इतने सालों से खड़े- खड़े मैं थक गया हूँ। तुम्हारी मेहरबानी होगी यदि तुम मेरे लिए एक घोडे का इन्तजाम कर दो। नौजवान ने बापूजी को आश्वासन दिया कि वो दूसरे ही दिन घोडे का इन्तजाम कर देगा।
दूसरी रात नौजवान अपने साथ एक नेता को बहला-फुसलाकर लाता है कि वो बापूजी के लिए कोई अच्छे घोडे का इन्तजाम कर दे। ठीक रात को दो बजे गाँधी अपनी प्रतिमा स्थल से नीचे नौजवान के पास आते हैं और नौजवान से घोडे के बारे में पूछते हैं। नौजवान शान से बोलता है, "बापूजी, अब आपकी समस्या का हल शीघ्र ही हो जाएगा । देखो, मैं यहाँ पर यहाँ के सबसे बड़े नेता को लाया हूँ । गाँधीजी नौजवान को कसकर फटकारते हुए बोले, 'अरे मूर्ख, मैने तुझे घोडा लाने के लिए कहा था, गधे को क्यों ले आया है?
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