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    श्री मंगल स्तुति

     
    shri mangal stuti

    श्री मंगल स्तुति 

    जय जय जय मंगल सुखदाता, लोहित भौमादिक विख्याता। ___ 

    अंगारक कुज रुज ऋणहारी, करह दया यही विनय हमारी।

    हे महिसुत छितिसुत सुखराशी, लोहितांग जय जन अघनाशी। 

    अगम अमंगल अब हर लीजै, सकल मनोरथ पूरण कीजै।

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