अजवाइन के गुणकारी उपाय
अजवाइन के गुणकारी उपाय
पाचन-वर्द्धक गोलियां-वारो नमक तीम ग्राम, अजवाइन तीस ग्राम, सोठ पन्द्रह ग्राम, लौंग एक ग्राम-कूट कर कपडछन करें पीर घीवार के रस मे खरल कर चने के वरावर गोलियां बना लें।
उदर पीडा-३शी अजवाइन पन्द्रह ग्राम, काला नमक चार ग्राम और हीग दो रत्ती-सवको बारीक कूट कर शीशी मे रखें। आवश्यकता के समय दिन में दो बार चार रत्ती से एक ग्राम तक गुनगुने पानी के साथ उपयोग करें। इससे भूख भी बढती है।
देशी अजवाइन अावश्यकतानुसार लें और तीन बार नीबू के रस में तर व खुश्क करें। तत्पश्चात् वारीक पीस कर स्वाद के अनुकल काला नमक मिलाए । एक से दो ग्राम तक गुनगुने पानी के साथ उपयोग करें।
उदर पीडा, प्रफारा और अजीर्ण-सोठ, काली मिर्च, पिपली, लाहौरी नमक, स्वेद जीरा, काला जीरा, अजवाइन तथा घी मे भुनी हींगप्रत्येक पच्चीस ग्राम।
कूट कर कपडछान कीजिए। मदाग्नि, उदर पीडा, अफारा तथा बदहजमी के दस्तो के लिए गुणकारी है । एक से डेढ ग्राम तक गरम पानी से दें।
मलेरिया-अजवाइन सौ ग्राम, पाक के भीतर की छाल पन्द्रह ग्राम, शोरा सौ ग्राम, सज्जी-क्षार दो सौ ग्राम । चढे ज्वर मे बच्चो को दो रत्ती तथा वयस्को को पांच रत्ती दें--पसीना और मूत्र खुल कर लाती है।
पुराना ज्वर-प्रजवाइन पन्द्रह ग्राम प्रात समय मिट्टी के कोरे कूजे मे चायकप-भर पानी में भिगो रखें। दिन मे मकान के भीतर तथा रात्रि समय वाहर प्रोस मे रखना चाहिए। दूसरे दिन प्रात छान कर पीए। इस प्रकार कम से कम दस बारह दिन तक उपयोग करें। यदि पूर्ण लाभ न हो तो अधिक समय तक उपयोग करना चाहिए। ___ जब ज्वर वहुत पुराना हो जाए, हर समय धीमा-धीमा ताप रहे, तिल्ली और जिगर भी बढे हुए हो तो इस प्रीपधि के थोडे दिन के उपयोग से ज्वर विल्कुल उतर जाता है और भूख खूब लगती है।
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