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    वास्तुशास्त्र - रसोई घर को आग्नेय में बनाने से होते हैं ये लाभ


    रसोई घर को आग्नेय में बनाने से होते हैं ये लाभ 

    रसोइ हमेशा रसोई घर आग्नेय में ही होते हैं। किसी भी हालत में उसे ईशान्य में नहीं बनाना है। यदि आग्नेय में अनुकूल न हो तो वायुव्य में बना सकते हैं। वायुव्य के रसोई घर में पूरब की ओर मुँह करके पकवान करना शुभ प्रद होगा। यदि वायुव्य हिस्से के आग्नेय में पकवान करने की सुविधा न होतो, पश्चिम की ओर मुँह करके पकाने में भी कुछ दोष नहीं। लेकिन "स्टव "रखने के लिए बनाया जाने वाला प्लाटफार्म किसी भी हालत में उत्तरी हिस्से में बनाकर उत्तर की ओर मुँहकर के पकाना अच्छा नहीं है। पश्चिमी दीवार से सटाकर बनाया गया प्लाटफार्म वायुव्य तकही सीमित रहना चाहिए। किसी भी हालत में उसे उत्तरी दीवार को नहीं छूने देना चाहिए। इतना ही नहीं प्लाटफार्म का खोखला होना भी जरूर है। बाद में दक्षिणी दीवार से सेट होकर आग्नेय तक अलमैरह आदि बना ले सकते हैं। अगर रसोई घर से सटे होकर भोजनालय हो तो दरवाजे, अलमैरह के लिए कुछ जगह छोडकर वायुव्य हिस्से में नल अथवा "शिंक" रख सकते हैं । पकवान के लिए बनाये गये प्लाटफार्म के अलावा ऊपरी हिस्से में पकवान की सामग्री रखने का इन्तजाम भी कर सकते हैं।

    बाद में दक्षिणी दीवार से सेट होकर आग्नेय तक अलमैरह आदि बना ले सकते हैं। अगर रसोई घर __ से सटे होकर भोजनालय हो तो दरवाजे, अलमैरह के लिए कुछ जगह छोडकर वायुव्य हिस्से में नल

    अथवा "शिंक" रख सकते हैं । पकवान के लिए बनाये गये प्लाटफार्म के अलावा ऊपरी हिस्से में पकवान की सामग्री रखने का इन्तजाम भी कर सकते हैं।

    पश्चिमी दीवार के ऊपर वायुव्य में ॥ वेंटिलेटर ॥ बनालेसकते हैं । ॥ एग्जास्ट फ्यान" भी स्टोव के ऊपरी हिस्से में (यथा साह य वायुव्य में ) रख सकते हैं। अथवा उत्तरी दीवार में भी इसका इन्तजाम करले सकते हैं। चाहे तो खिडकी को उत्तरी दीवार के ईशान्य हिस्से में भी रख सकते हैं।

    घर के वायुव्य में बनाये गये रसोई घर के उत्तर, दक्षिण माप से भी पूरब, पश्चिम का माप बढकर होना है। अगर उत्तरी, दक्षिण माप पूरब, पश्चिम से बढकर हों तो ईशान्य में दरवाजा होना चाहिए। नैरुति में रसोई घर हो तो, पश्चिम की ओर खडे होकर पकवान करना चाहिए।


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