अल्टीमेट का दावा हमेशा विकास में बाधा बनता है- ओशो
प्रश्न--उसका अर्थ लोग करते हैं बहुत?
नहीं, नहीं वह सबकी फिलासफी है और सभी अल्टीमेट दुथ का दावा करनेवाले लोग हुए हैं। अलग-अलग दावे कर सकते हैं कि उनका जो दुथ है, वह अल्टीमेट है। किसी का टुथ अल्टीमेट नहीं है। सबके दुथ रिलेटिव हैं। जो भी आज मैं कह रहा हूं, वह भी उतना ही रिलेटिव है। कल इसका करने की तैयारी दिखानी चाहिए। अगर वह जिद्द कर ले इस बात की, अगर मैं जिद्द कर लूं कि मैं जो कह रहा हं वह अल्टीमेट है, तो मैं मनुष्य के विकास में बाधा बनूंगा। अल्टीमेट का दावा हमेशा विकास में बाधा बनता है। चूंकि विज्ञान कोई अल्टीमेट का दावा नहीं करता है, इसलिए विज्ञान निरंतर विकासमान है। और जो अल्टीमेट का दावा करते हैं, वे मनुष्य के ज्ञान में सबसे बड़ी बाधाएं खड़ी कर देते हैं। दावा सभी करते हैं।
सारे लोग अलग-अलग कहेंगे, सब लोग अलग-अलग कहेंगे, लेकिन सबके पास अपने अल्टीमेट कंसेप्शन हैं। मैं जो कह रहा है, उसमें हिंदु धर्म से विरोध का सवाल नहीं है। मेरा तो इज्म से ही विरोध है। हिंदूइज्म का सवाल नहीं है।
प्रश्न-अस्पष्ट है
ओशो--अफ्रेड होना चाहिए अफ्रेड उन्हें होना चाहिए। मैं भी अफ्रेड हूं, भयभीत मैं भी हूं, वह सब मेरे पास भी खड़ा हो सकता है। और इसलिए न मेरा कोई अनुयायी है, न संप्रदाय है। मैं तो मानता हूं कि समस्त चिंतन इंडीविजुअल है। इसलिए न मेरा कोई अनुयायी है, न मेरा कोई संप्रदाय है, और न मैं किसी का गुरु होतो, मैं भी अफ्रेड तो हूं, इसलिए तो सारे इंतजाम कर रहा हूं कि मेरे साथ वह बात न बन सके। मैं किसी को बांधनेवाला सिद्ध नहीं होना चाहूंगा। अगर ऐसा तुम्हारा खयाल हो, तो मेरे साथ खड़े होना चाहिए। और जिन लोगों को भी यह लगता हो कि यह सब पुराना है, वही है। जिनको भी ऐसा लगता हो, उन्हें मेरे साथ खड़ा होना चाहिए।
-ओशो
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