प्रश्न--ओशो आपके साथ क्यों?
प्रश्न--ओशो आपके साथ क्यों?
ओशो--मैं जो कह रहा हूं, अगर वह लग रहा हो कि यही वेद में है, यही पुराण में है, यही कृष्ण कहते हैं, यही महावीर कहते हैं, यही बुद्ध कहते हैं, अगर ऐसा लगता है, तो वह जो महावीर और बुद्ध को माननेवाले है, उसे मेरी दुश्मनी में खड़े होने का कोई कारण नहीं है। लेकिन वह मेरी दुश्मनी में खड़ा है, और इसलिए मैं कहता हूं कि जब वह यह कहता है कि यही पुराण कहते हैं, तो गलत कहता है। इन दोनों में से कोई एक बात भी ठीक है, और यही पुराण कहते हैं, तो मैं उसके पुराणों को ही सिद्ध कर रहा हूं। तब मुझसे दुश्मनी का कोई कारण नहीं है। मेरी दो बातें हैं--अगर मेरी बात पुरानी ही है, तो मुझसे दुश्मनी का क्या कारण है? कोई कारण नहीं रह जाता। और अगर दुश्मनी का कारण है और फिर वह कहता है, मेरी बात पुरानी है, तो फिर उसमें चालाकी है।
-ओशो
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