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    वास्तुशास्त्र - घर के मुखिया का बेडरूम इस दिशा में होने से होता है लाभ


    घर के मुखिया का बेडरूम इस दिशा में होने से होता है लाभ

    शयनागार 

        साधारण तथा शयनागार घर के नैरुति में ही बनते हैं। इस से नैरुति भारी होकर गृहस्थ को ईशान्य द्वार से बाहर निकलना पडेगा। फलतः गृहस्थ को उच्च स्थिति प्राप्त होगी। इस कमरे में धन रखने का अलमैरह दक्षिण - पश्चिम दीवारों को लगाकरउत्तर एवं पूरब दिशाओं के सामने रख सकते हैं। रक्षण की दृष्टि से भी यह इन्तजाम अच्छा साबित होगा। इन्सान अपने शयनागार में अधिक समय बिताता है। इसलिए कमसे कम शयनागार तो वास्तु के अनुरूप होना चाहिए। घर के नैरुति हिस्से में "स्टोर रूम" बनाकर उसके बगल में पश्चिम या दक्षिण की ओर शयनागार बनाना अच्छा होगा। लेकिन बहुत से लोग इसे पसन्द नहीं करते। तो भी नैरुति में स्टोर रूम बनाने वालों को ध्यान रखना चाहिए कि स्टोर रूम का "फ्लोरिंग" अन्य कमरों के "फ्लोरिंग" से कुछ ऊँचा होना चाहिए।


    Bedroom and Bathroom


        शयनागार में पलंग बिछाने के बाद पूरब एवं उत्तर में ज्याद खाली जगह छोडना है। गृहस्थ घर के नैरुति में सोता है तो ईशान्य अथवा आग्नेय हिस्सों में बच्चों को सोने का इन्तजाम करना है। कुछ वास्तु शास्त्रीयों का मत है कि प्रथम सन्तान दक्षिण के कमरे में, द्वितीय सन्तान आग्नेय में, तृतीय सन्तान पश्चिम में, चौथा सन्तान वायुव्य में सोना है। सोते समय सिर दक्षिण की ओर करना श्रेष्ट है। शयनागार दक्षिण, पश्चिम, उत्तर एवं नैरुति में बना सकते हैं। लेकिन पूरब, आग्नेय अथवा ईशान्य में बनाना श्रेयोदायक नहीं होगा।

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