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    गाडीवान रैक्व का प्रताप

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    गाडीवान रैक्व का प्रताप

    किसी समय जानश्रुति नाम का राजा रहता था। वह बड़ा दानी और धार्मिक था । उसने अपने राज्य में चारों और धर्मशालाएँ बनवा रखी थीं. ताकि बाहर के लोग उसके गन्य में आकार वहाँ आराम से रहें। उन धर्मशालाग्रा में उसन सवक भोजन का भी अच्छा प्रवंध कर रखा था। ____एक रात में उसके भवन के ऊपर से होकर कुछ हंस उड़ चले जा रहे थे। उन हंसों में जो सबसे आगे था उसने सबसे पीछेवाले हंस से कहा--"हे भल्लाक्ष ! देख, इस जानश्रुति राजा का प्रताप चारों ओर भूलोक के समान फैला हुआ है। उसके समीप तू मत जाना, नहीं तो वह तुझे अपने तेज से जलाकर भस्म कर डालेगा।"

    दृसग हंस बोला- "अरे, तू यह मूखों की-सी कैसी वात करता है ! एक साधारण व्यक्ति को ऐसा समझता है. जैसे वह गाड़ी हाँकनेवाले रैक्व ऋषि के समान हो।"

    पहले हंस ने पूछा--"यह रैक्व कौन है ?" दृसर ने कहा--"यह रैक्व ऐसा प्रतापी है कि लोग जो श्रेष्ठ कर्म करते हैं उन सबका फल उसे अपने-श्राप ___ मिल जाता है। जानश्रुति को जितना ज्ञान है क्व को भी उतना ही ( बल्कि अधिक ) है । वह देखन में साधारण लगते हुए भी बहुत बड़ा तपस्वी है।"

    जानथति ने जब हंसां को इस तरह आपस में बात करते हुए सुना तो उसने अपने सारथि को 'क्व का पता लगाने और उसके संबंध में ठीक-ठीक वातं मालूम करने का आदेश दिया। सारथि ने रैक्व का पता लगाने की बहुत चेष्टा की, पर असफल हुआ । ____ उसने अाकर गजा को सूचित किया कि 'क्व का कहीं पता नहीं लगता। गजा ने कहा-"क्व को वहाँ हूँढ़ो जहाँ ब्रह्मज्ञानी रहते हों।"

    सारथि फिर खोज में निकला । एक स्थान में उसने देखा कि एक साधारण-सा व्यक्ति एक गाड़ी के नीचे छाँह में बैठा हुआ अपने शरीर के एक स्थान का दाद खुजला रहा है। वह उसके पास गया और हाथ जोड़ता हुश्रा बोला-"प्रापही क्या गाड़ीवाले 'क्व ऋषि है ?" उस व्यक्ति ने उत्तर दिया-"हाँ, मैं वही है।" सारथि ने यह जानकर कि उसने 'क्व का पता लगा लिया है, राजा को इस बात की सूचना दी।

    राजा जानश्रुति छः सौ गाय, रत्नों का एक मूल्यवान हार और एक संदर रथ लेकर क्व के पास पहुंचा और उन सब चीज़ों को उसे भंट-स्वरूप प्रदान करकं बोला"जिस देवता की उपासना श्राप करते है, उसके विशेषत्व सं मुझे परिचित कराइए।"

    रंक्व को राजा पर अत्यंत क्रोध आया। वह किसी प्रलोभन में फंसना नहीं चाहता था। उसने जानश्रुति से कहा-"ह शुद्र ! मुझे इन हार और गौओं की कोई आवश्यकता नहीं है। इन्हें तुम अपने ही पास रखो।" ___ जानश्रुति विन्न होकर लौट चला। उसने सोचा कि कब उग्स दान को कम समझता है. और इसी कारण "IE!" कहकर डांट बताता है। उसने फिर एक बार क्व के पास जाने का विचार किया। इस वार बह एक हज़ार गाएँ. हार और एक सुन्दर ग्थ लेकर रेक्त्र के पास पहुँचा। उसके बाद उसने ( गजा ने ) कहा-"भगवन ! इन सब चीज़ों के अतिरिक्त में तुम्हें वह गांव भी दान में उता है जिसमें आप इस समय जिगजमान है. मैं आपसे ज्ञान प्राप्त करने की इच्छो रग्बता हूँ।"

    क्य ने राजा की करुगा प्रार्थना सुनकर उस ज्ञानोपदेश देना स्वीकार कर लिया। राजा जानश्रुति उस अत्यंत साधारण व्यक्तित्व वाले महापुरुष के मुख से ब्रह्मज्ञान सुनकर बहुत सुखी हुआ और वह बहुत बड़ा पगिडत बन गया।

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