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    विदुरनीति - महात्मा विदुर के अनुसार मूर्ख व्यक्ति को इन 10 बातों से पहचान सकते हैं.


    विदुरनीति -  महात्मा विदुर के अनुसार मूर्ख व्यक्ति को इन 10 बातों से पहचान सकते हैं.

    • बिना पढ़े ही गर्व करनेवाले, दरिद्र होकर भी बड़े-बड़े मनसूबे बाँधनेवाले और बिना काम किये ही धन पानेकी इच्छा रखनेवाले मनुष्यको पण्डितलोग मूर्ख कहते हैं 
    • जो अपना कर्तव्य छोड़कर दूसरेके कर्तव्यका पालन करता है तथा मित्रके साथ असत् आचरण करता है; वह मूर्ख कहलाता है 
    • जो न चाहने वालों को चाहता है और चाहने वालों को त्याग देता है तथा जो अपने से बलवान्के साथ बैर बाँधता है, उसे 'मूढ़ विचारका मनुष्य' कहते हैं
    • जो शत्रुको मित्र बनाता और मित्रसे द्वेष करते हुए उसे कष्ट पहुंचाता है तथा सदा बुरे कर्मोंका आरम्भ किया करता है, उसे 'मूढ़ चित्तवाला' कहते हैं 
    • भरतश्रेष्ठ ! जो अपने कामोंको व्यर्थ ही फैलाता है, सर्वत्र सन्देह करता है तथा शीघ्र होनेवाले काममें भी देर लगाता है, वह मूढ़ है
    • जो पितरोंका श्राद्ध और देवताओंका पूजन नहीं करता तथा जिसे सुहृद् मित्र नहीं मिलता, उसे 'मूढ़ चित्तवाला' कहते हैं
    • मूढ़ चित्तवाला अधम मनुष्य बिना बुलाये ही भीतर चला आता है, बिना पूछे ही बहुत बोलता है तथा अविश्वसनीय मनुष्योंपर भी विश्वास करता है
    • स्वयं दोषयुक्त बर्ताव करते हुए भी जो दूसरेपर उसके दोष बताकर आक्षेप करता है तथा जो असमर्थ होते हुए भी व्यर्थका क्रोध करता है, वह मनुष्य महामूर्ख है
    • जो अपने बलको न समझकर बिना काम किये ही धर्म और अर्थसे विरुद्ध तथा न पानेयोग्य वस्तुकी इच्छा करता है, वह पुरुष इस संसारमें 'मूढ़बुद्धि' कहलाता है
    • राजन् ! जो अनधिकारीको उपदेश देता और शून्यकी उपासना करता है तथा जो कृपणका आश्रय लेता है, उसे मूढ़ चित्तवाला कहते हैं।

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