महात्मा विदुर से जानिए कि प्रकार के लोगों को रात में जागने का रोग लग जाता है
जिसका बलवान्के साथ विरोध हो गया है उस साधनहीन दुर्बल मनुष्यको, जिसका सब कुछ हर लिया गया है उसको, कामी को तथा चोर को रातमें जागनेका रोग लग जाता है ॥
नरेन्द्र ! कहीं आपका भी इन महान् दोषोंसे सम्पर्क तो नहीं हो गया है? कहीं पराये धनके लोभसे तो आप कष्ट नहीं पा रहे हैं ?
धृतराष्ट्रने कहा-मैं तुम्हारे धर्मयुक्त तथा कल्याण करनेवाले सुन्दर वचन सुनना चाहता हूँ, क्योंकि इस राजर्षिवंशमें केवल तुम्हीं विद्वानोंके भी माननीय हो।
विदुरजी बोले-महाराज धृतराष्ट्र ! श्रेष्ठ लक्षणोंसे सम्पन्न राजा युधिष्ठिर तीनों लोकोंके स्वामी हो सकते हैं। वे आपके आज्ञाकारी थे, पर आपने उन्हें वन में भेज दिया।
आप धर्मात्मा और धर्मके जानकार होते हुए भी आँखोंसे अन्धे होनेके कारण उन्हें पहचान न सके, इसीसे उनके अत्यन्त विपरीत हो गये और उन्हें राज्यका भाग देनेमें आपकी सम्मति नहीं हुई ।
युधिष्ठिरमें क्रूरताका अभाव, दया, धर्म, सत्य तथा पराक्रम है; वे आपमें पूज्यबुद्धि रखते हैं। इन्हीं सद्गुणोंके कारण वे सोच-विचारकर चुपचाप बहुत-से क्लेश सह रहे हैं ॥
आप दुर्योधन, शकुनि, कर्ण तथा दुःशासन-जैसे अयोग्य व्यक्तियोंपर राज्यका भार रखकर कैसे ऐश्वर्य-वृद्धि चाहते हैं? ॥
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