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    विदुरनीति - भीरु पुरुषका लक्षण, किसके शत्रु परास्त हो जाते हैं, कौन सदा सुखी रहता है और किसकी सर्वत्र प्रशंसा होती है

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    भीरु पुरुषका लक्षण, किसके शत्रु परास्त हो जाते हैं, कौन सदा सुखी रहता है और किसकी सर्वत्र प्रशंसा होती है

    • जो किसी दुर्बलका अपमान नहीं करता, सदा सावधान रहकर शत्रुके साथ बुद्धिपूर्वक व्यवहार करता है, बलवानोंके साथ युद्ध पसन्द नहीं करता तथा समय आनेपर पराक्रम दिखाता है, वही धीर है।
    • जो धुरन्धर महापुरुष आपत्ति पड़नेपर कभी दुःखी नहीं होता, बल्कि सावधानीके साथ उद्योग का आश्रय लेता है तथा समयपर दुःख सहता है, उसके शत्रु तो पराजित ही हैं।
    • जो निरर्थक विदेशवास, पापियोंसे मेल, परस्त्रीगमन, पाखण्ड, चोरी, चुगलखोरी तथा मदिरापान नहीं करता, वह सदा सुखी रहता है। 
    • जो क्रोध या उतावली के साथ धर्म, अर्थ तथा काम का आरम्भ नहीं करता, पूछनेपर यथार्थ बात ही बतलाता है, मित्रके लिये झगड़ा नहीं पसन्द करता, आदर न पाने पर क्रुद्ध नहीं होता, विवेक नहीं खो बैठता, दूसरों के दोष नहीं देखता, सब पर दया करता है, दुर्बल होते हुए किसी की जमानत नहीं देता, बढ़ कर नहीं बोलता तथा विवाद को सह लेता है, ऐसा मनुष्य सब जगह प्रशंशा पाता है. 

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