• Latest Posts

    वास्तुशास्त्र - स्कूल निर्माण के समय रखें इन बातों का विशेष ध्यान

    Vastu-Shastra-Keep-these-things-in-mind-while-building-the-school


    वास्तुशास्त्र - स्कूल निर्माण के समय रखें इन बातों का विशेष ध्यान

    वास्तु की ओर ध्यान दें तो स्कूल के लिए ईशान्य लोप न होना चाहिए। ईशान्य ढलाऊ होना तथा कुछ बढ़त भी होना चाहिए। विद्यालय में दक्षिण, पश्चिम कुछ ऊँचाई पर होना चाहिए। इस और बडे बडे पेड हों तो अच्छा होगा। पूरब और उत्तर की दीवारें कुछ कम ऊँचाई के होना चाहिए। केवल 5 प्रतिशत ईशान्य को छोडकर बाकी सब खाली जगहों में पेड रहें तो अच्छा है। चारों ओर हरियाली के छाये होने से बच्चों का मनोल्लास होता है और वे ध्यानमग्न होकर अपनी पढाई जारी रख सकते हैं।


    स्कूल के हर एक कमरे का द्वार ईशान्य में ही होना चाहिए। हर एक कमरे में दक्षिण, पश्चिम, नैरुति को छोडकर बाकी सब ओर खिडकीयाँ रख सकते हैं । इससे पर्याप्त हवा एवं रोशनी की उपलब्धी होगी। " रेडिएशन" के असर को कम करने के लिए ऊपर का छत भी 12 फुट से ज्यादा होना चाहिए। फ्लोरिंग ऊँचाई पर होतो वास्तु आकर्षण और भी बढजायेगा। प्रहरी के नैरुति में एक उपग्रह बनालें तो अच्छा होगा इससे अद्भुत फल उपलब्ध होंगे। नैरुति में स्टोर रूम हो तो, और भी अच्छा होगा। स्टोर रूम से सटे पूरब या उत्तर में "प्रिन्सिपाल रूम" बनाना है। इस प्रिन्सिपाल रूम के बगल में स्टाफ रूम होना है। स्कूल के पूरब में त्रिशाला हो तो असरदार होगा। सुविधा के अनुसार उत्तर में भी त्रिशाला बना सकते हैं। 

    No comments