महात्मा विदुर से जानिए कि किस प्रकार की वाणी अपयश का कारण बनती है
- वाणीका पूर्ण संयम तो बहुत कठिन माना ही गया है, परंतु विशेष अर्थयुक्त और चमत्कारपूर्ण वाणी भी अधिक नहीं बोली जा सकती ।
- मधुर शब्दोंमें कही हुई बात अनेक प्रकारसे कल्याण करती है; किंतु वही यदि कटु शब्दों में कही जाय तो महान् अनर्थका कारण बन जाती है ।
- बाणोंसे बींधा हुआ तथा फरसेसे काटा हुआ वन भी पनप जाता है, किंतु कटु वचन कहकर वाणीसे किया हुआ भयानक धाव नहीं भरता ।
- कर्णि, नालीक और नाराच नामक बाणोंको शरीरसे निकाल सकते हैं, परंतु कटु वचनरूपी काँटा नहीं निकाला जा सकता, क्योंकि वह हृदयके भीतर धंस जाता है।
- वचनरूपी बाण मुखसे निकलकर दूसरोंके मर्मपर ही चोट करते हैं, उनसे आहत मनुष्य रात-दिन घुलता रहता है। अतः विद्वान् पुरुष दूसरोंपर इसका उपयोग न करें ।
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