जिसने क्रोध को नहीं देखा, उसके भीतर क्रोध के संबंध में अनुशासन कभी पैदा नहीं होगा- ओशो
जिसने क्रोध को नहीं देखा, उसके भीतर क्रोध के संबंध में अनुशासन कभी पैदा नहीं होगा- ओशो
यूरोप में एक फकीर था गुरजिएफ। उसके आश्रम में जो भी भर्ती होता, उससे वह पहले से कहता कि क्रोध करना सीखो। और क्रोध की ट्रेनिंग देता, प्रशिक्षण देता कि क्रोध करो। इतनी तीव्रता से करो, इतनी गति से करो, इतने जोर से, इतने मन से करे कि तुम्हारा पूरा व्यक्तित्व क्रोधित हो जाए। तभी तुम जान सकते हो कि क्रोध क्या है? जब एक आदमी पूरे क्रोध में भरा है, तब गुरजिएफ कहेगा--देखो, वह आदमी को चिल्लाता है कि देखा--और ऐसी सिचुएशन पैदा करेगा कि कोई आदमी, जो नया है, वह बिलकुल पागल हो जाए क्रोध में। तब वह चिल्लाकर कहेगा, देखो, स्टाप एंड सी, और भीतर देखो कि क्रोध क्या है?
इतने, ज्वलंत रूप में जब क्रोध चारों तरफ जल रहा हो, और कण-कण में आग भर दी हो, प्रत्येक दफा चौंककर आदमी भीतर देख ले कि क्रोध क्या है, तो उसे झलक मिलती है। हमें कभी क्रोध की झलक नहीं मिलती। जब हम क्रोध में होते हैं, तब बेहोश होते हैं। जब होश में आते हैं, तब क्रोध चला गया होता है। हमारा कभी मिलना नहीं होता क्रोध से, हमारा कभी अनकाउंटर नहीं होता कि आमन-सामने मिल जाए, देख लें कि क्या है। तो गुरजिएफ कहता था, जिसने क्रोध को नहीं देखा, उसके भीतर क्रोध के संबंध में अनुशासन कभी पैदा नहीं होगा ऊपर से थोपा हुआ नियम बह जाएगा।
- ओशो
No comments