नास्तिक फकीर - ओशो
नास्तिक फकीर - ओशो
एक फकीर। उस पर गांव में लोगों ने इल्जाम लगा दिया है और कह दिया है राजा से कि यह फकीर नास्तिक है, अधार्मिक है, और इसके बोलने पर पाबंदी लगाना जरूरी है, नहीं तो सारा गांव बर्बाद हो जाएगा। तो राजा ने उस फकीर को बुला लिया, उस फकीर ने राजा से कहा कि किसने तुम्हें यह खबर दी? क्योंकि मुझे पता ही नहीं कि नास्तिकता और धार्मिकता तौलने का मापदंड क्या है? मैं तो उसी की खोज कर रहा हं। मुझे पता चल जाए, तो मैं भी उस तराजू पर बैठकर अपने को तौल लूं कि मैं धार्मिक हं कि अधार्मिक। कहां किसने? राजा ने कहा कि मेरे ये पंडित बैठे हैं। इन्होंने कहा है। उसने कहा कि इन पंडितों से, इसके पहले कि मैं अपनी जांच करवाऊं, एक छोटा सा सवाल पूछना है। पंडित तैयार हो गए। ऐसे पंडित हमेशा तैयार होते ही हैं, रेडीमेड ही होते हैं। उनके पास कुछ ऐसा नहीं होता है कि किसी चीज का मुकाबला किया जा सके। उनके पास चीजें तैयार होती हैं। मुकाबला सिर्फ बहाना होता है, खूटियां होती हैं, जिन पर जो उनके दिमाग में सदा सेतैयार कर रखा है, वह टांग देते हैं। वे तैयार हो गए।
उस फकीर ने एक-एक कागज उनको थमा दिया, और कहा कि मैं एक प्रश्न पूछता हूं, आप सब उत्तर लिख दें। तो उन्होंने सोचा कि यह कोई कठिन प्रश्न पूछेगा। और मजा यह है कि सब कठिन प्रश्नों के उत्तर तैयार हैं। सरल प्रश्न का उत्तर ही मुश्किल बात है। क्योंकि उसका उत्तर कहीं लिखा नहीं होता है। उस फकीर ने बड़ा सरल प्रश्न पूछा। उसने पूछा, व्हाट इज ब्रेड--रोटी क्या है? उन्होंने सोचा कि पूछेगा, ब्रह्म क्या है? और परमात्मा क्या है? मोक्ष क्या है? प्रेम क्या है? यह कैसा गंवार आदमी आ गया है, जो पूछता है कि रोटी क्या है? यह भी कोई सवाल है? कोई ज्ञान है? उन्होंने कहा, यह भी कोई सवाल है? फकीर ने कहा, मैं बिलकुल नासमझ आदमी हूं, बस ऐसा ही सरल पूछ सकता हूं। आपकी बड़ी कृपा होगी, जवाब दे दें। आप इस पर लिख दें, राजा भी हैरान हुआ, इसको काहे के लिए पकड़ लाए हैं? यह क्या नास्तिक होगा? यह बेचारा, ऐसी सरल बातें भी इसे अभी पता नहीं कि रोटी क्या है! इसके सवाल कोई मेटाफिजिक्स के, कोई ज्ञान के तो नहीं हैं।
पंडित लिखने में बड़ी मुश्किल में पड़ गए; क्योंकि कहीं नहीं लिखा था कि रोटी क्या है! पढ़ा ही नहीं था किसी किताब में, किसी ब्रह्मसत्र में, किसी गीता में, किसी कुरान में! कहीं नहीं लिखा है कि रोटी क्या है। बड़ी मुश्किल में पड़ गए। एक ने लिखा, रोटी एक तरफ का भोजन है। और क्या लिखे। गेहं, पानी और आग का जोड़ है। किसी ने लिखा है, रोटी बड़ी ताकतवर चीज है, यह कहना मुश्किल है, क्योंकि रोटी सब कुछ है। खून भी वही है, हड्डी भी वही है, मांस भी वही है, मज्जा भी वही है। तो रोटी क्या है, कहना बहुत मुश्किल है। रोटी बहुत मिस्ट्री है। एक ने लिखा कि पहले यह पता चल जाए कि पूछनेवाले व मतलब का मतलब क्या है, मैं बता सकता हूं। सबके कागज लेकर फकीर राजा के सामने गया और उसने कहा, यह कागज देख लें। इन पंडितों को यह भी पता नहीं है कि रोटी क्या है? और ये सब इस पर भी राजी नहीं हैं कि रोटी क्या है? ये इस पर कैसे राजी होंगे कि ईश्वर क्या है, और आस्तिकता क्या है? इन्होंने कैसे जान लिया मुझे? वह पता मुझे बता दें आप! मैं भी उस तराजू पर चढ़ जाऊंगा। अभी मुझे ही पता नहीं है कि मैं कौन हूं--नास्तिक हूं कि आस्तिक हूं। इनको कैसे पता लग गया है?
- ओशो
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