वास्तुशास्त्र - नर्सिंग होम. अस्पताल बनवाते समय रखें इन 8 बातों का ख्याल
नर्सिंग होम, अस्पताल बनवाते समय रखें इन 8 बातों का ख्याल
आज कल हर एक शहर में नर्सिंग होम स्थापित किये जा रहे हैं। इन में से कुछ नर्सिंग होम वास्तु तृटियों के कारण कुछ ही दिनों में बन्द किये जा रहे हैं। ऐ से नर्सिंग होम में रोगियों को बहुत सा पैसा खर्चा करने पर भी स्वास्थता नहीं मिल रही है।
हर एक नर्सिंग होम के निर्माण में वास्तु का पूरा ध्यान रखकर निम्न लिखित अंशों पर ध्यान देना जरूरी है।
1.ईशान्य में खाई या गड्डे का होना अनिवार्य है।
2. नर्सिंग होम का मुख द्वार उच्च में ही होना है।
3. नर्सिंग होम के हर एक कमरे का द्वार ईशान्य में ही होना चाहिए। 4. दक्षिण एवं पश्चिम में बडे बडे पेड होना चाहिए। बैठने के लिए काले पत्थर के चबूतरे तथा नैरुति में एक उपगृह होना चाहिए।
5. मुख्य वैद्य का कन्सल्टेन्सी रूम नैरुति में ही होना श्रेष्ठ है। कमरे के आग्नेय अथवा वायुव्य में बात रूम बनाकर ईशान्य को बढालेना श्रेयस्कर होगा।
6. नर्सिंग होम को किसी भी खिस्म के बुरे स्ट्रीट फोकस नहीं होना चाहिए।
7. नर्सिंग होम में भारी यंत्र होते हैं। इसलिए पश्चिम या दक्षिण में आपरेशन थियेटर होना चाहिए। इसके बगल में ही आई.सि.यू तथा अन्य कमरे होना है।
8. हर एक कमरे के दरवाजे उच्च में ही होना है।
निर्माण में उपरोक्त विषयों पर ध्यान दें तो बिना पब्लिसिटी के ही नर्सिंग होम की प्रगति में चार चाँद लग जायेंगे। नर्सिंग होम के पुराने तकाजे दूर होजायेंगे। डाक्टरों को भी किसी प्रकार के टेन्शन नहीं होंगे। किसी प्रकार के झगडे न होंगे। नर्सिंग होम सन्तोष जनक प्रगति करेगी।
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