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    ज्योतिष से जानिए सूर्य के अनिष्ट प्रभाव का निवारण उपाय

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    ज्योतिष से जानिए सूर्य के अनिष्ट प्रभाव का निवारण उपाय

    सूर्यादि अनिष्ट ग्रहों के उपाय के संदर्भ में किस ग्रह से कौन-सी वस्तु संबंधित है, जिसका दानादि लाभप्रद सिद्ध हो सकता है, यह ज्ञान अत्यावश्यक है। इसलिए ग्रहों का कारकत्व जानना अपेक्षित है।
    सूर्य हृदय का द्योतक है। यदि जन्मकुंडली में सूर्य अथवा इसकी राशि पर राहु का प्रभाव हो तो हृदय गतिरोध की संभावना रहती है, विशेषता तब जबकि कुंडली का पांचवां घर और उसका मालिक भी राहु के प्रभाव में हो। ऐसी हालत में सूर्य को बलवान् करना होता है और राहु की पूजा अभीष्ट होती है।

    ग्रहों की शांति का एक मौलिक नियम यह है कि जिस ग्रह पर पाप प्रभाव पड़ रहा है और उसको बलवान् किया जाना अभीष्ट है, उससे संबंधित रत्नादि को तो धारण किया जाए और जो ग्रह अपनी युति अथवा दृष्टि से पीड़ा प्रदान कर रहा है, उस ग्रह की पूजा आदि के द्वारा शांति कराई जाए। मान लीजिए, किसी कुंडली में सूर्य शत्रु राशि के दूसरे घर में मौजूद है, उसको मंगल ग्यारहवें घर में स्थित होकर अपनी चौथी दृष्टि से प्रभावित कर रहा है तो ऐसी हालत में सूर्य पीड़ित होगा और मंगल पीड़ा देने वाला। अतः उन दोनों का निवारण आवश्यक है।

    . सूर्य अग्निरूप भी है। यह मंगल आदि ग्रहों से मिलकर लग्नों को पीड़ित कर सकता है। सूर्य एक पृथक्ताजनक और कलहकारी ग्रह भी है। जब यह किसी जन्मकुंडली के सातवें घर में शत्रु राशि का होकर मौजूद हो तो यह दाम्पत्य जीवन में कलह की सृष्टि कर स्त्री अथवा पुरुष से वियोग करवा देता है।

    सूर्य पिता है, अतः यदि वो नौवें घर का स्वामी होता हुआ राहु तथा शनि के प्रभाव में हो तो पिता के कष्ट का द्योतक होता है। सूर्य हड्डी का प्रतिनिधि है। जब यह ग्रह लग्नेश होकर चौथे घर में पीड़ित हो तो हड्डी टूटने का योग बनता है। इसी प्रकार पांचवें घर में स्थित हुआ सूर्य गर्भ की हानि करता है।

    जब सूर्य जन्मकुंडली में बुरी स्थिति में पड़ा हो और सूर्य द्वारा प्रदर्शित बातों से हानि हो रही हो, जैसे दिल को कष्ट हो, राजदरबार से परेशानी हो, आंखों में कष्ट हो, दिल का दौरा हो, पेट की बीमारियां हों, हड्डियों की कोई तकलीफ हो तो उस समय गुड़ का दान, गेहूं, तांबा दान करना शुभ रहता है।

    सूर्य भगवान विष्णु का रूप है। इसलिए हरिवंश पुराण की कथा से सूर्य द्वारा उत्पादित दुःखों की निवृत्ति ही कही है। लाल किताब के लेखक के मुताबिक जिसका सूर्य बलवान् होता है, वो नमक कम खाता है, दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जो लोग नमक ज्यादा खाते हैं, उनका सूर्य निश्चय ही निर्बल होता है।

    सूर्य सातवें घर में प्रायः बुरा माना गया है। कारण संभवतया यही है कि सातवें घर में प्राकृतिक रूप-से तुला राशि है जो कि सूर्य के लिए नीच राशि है। ऐसी स्थिति में यदि सूर्य सातवें घर में स्थित होकर बुरा फल कर रहा हो तो एक टोटका दिया है कि रात के समय आग को दूध से बुझाओ। भाव यह प्रतीत होता है कि अग्नि रूप सूर्य को उसके मित्र दूध रूप चंद्रमा की सहायता प्राप्त होगी।

    इसी प्रकार सूर्य के उस सातवें भाव में स्थिति के दशा-परिणाम की निराकृति के लिए एक टोटका है कि व्यक्ति मुंह में मीठा डालकर ऊपर से पानी पिया करे। लाल किताब के लेखक के बारे में मंगल का संबंध मीठे शहद आदि से है। मीठे और पानी के उक्त प्रयोग का मतलब होगा कि व्यक्ति चंद्र (पानी) और मंगल (मीठा) का उपयोग कर सूर्य के मित्रों चंद्र और मंगल की सहायता लेकर सूर्य के द्वारा उत्पादित दुःख की निवृत्ति कर रहा है।

    यदि सूर्य कुंडली के दसवें घर में हो और पीड़ित होकर अपनी संबंधित वस्तओं आदि द्वारा कष्ट पहुंचा रहा हो तो टोटका दिया कि चलते पानी में तांबे का पैसा बहा देना अच्छा होगा। यहां यह सिद्धांत कार्य करता है कि जो ग्रह पीड़ित हो, उससे संबंधित धातु आदि वस्तु का दान करना चाहिए। चंकि सर्य से संबंधित और वस्तुओं के अलावा तांबा भी है, अतः तांबे का सिक्का पानी में बहा देने के बारे में कहा गया है कि चलते पानी में सिक्का बहा देने का आश्रय केवल यही है कोई शक्ति हमसे हमारे कष्ट को दूर बहा ले जा रही है।

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