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    ज्योतिष विज्ञानं से जानिए केतु के अनिष्ट प्रभाव के निवारण के उपाय

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    ज्योतिष विज्ञानं से जानिए केतु के अनिष्ट प्रभाव के निवारण के उपाय 

    केतु जब कुंडली में अनिष्टकारी स्थिति में हो तो कुत्तों को भोजन कराना लाभप्रद रहेगा (केतु को कुत्ता माना गया है)। लाल किताब के लेखक ने केतु की दान की वस्तुओं में तिल को भी सम्मिलित किया है।
    श्री गणेश जी केतु के देवता माने गए हैं।

    केतु के अनिष्ट होने पर यदि लड़के का व्यवहार शुभ न हो तो धर्म मंदिर में कंबल का दान देने से केतु का अनिष्ट प्रभाव दूर हो जाता है। यदि पांव में या पेशाब में किसी प्रकार का कष्ट हो तो शुद्ध रेशम का सफेद धागा तथा चांदी की अंगूठी, मोती आदि की वस्तुओं को धारण करना लाभप्रद रहता है।
    राहु की भांति केतु भी छाया ग्रह है। इसको बलवान करने का कोई औचित्य नहीं है। यद्यपि जब इन शुभ ग्रहों अथवा योग कारक ग्रहों का युति अथवा दृष्टि द्वारा प्रभाव पड़ रहा हो तो देखना चाहिए कि वो प्रभाव अत्यल्प तो नहीं है?

    यदि अत्यल्प है, तो उस प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। अर्थात् शुभ अथवा योगकारक ग्रह की शक्ति को उससे संबंधित रत्न को पहनकर (धारण करके) बढ़ाना चाहिए या फिर जब राहु व केतु पर मंगल, शनि आदि पापी ग्रहों का प्रभाव पड़ रहा हो और राहु की दृष्टि आदि से अनिष्ट उत्पन्न हो रहा हो तो फिर सब पापी ग्रहों का उपाय करना चाहिए।

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