ज्योतिष से जानिए कला का सौंदर्य ग्रह शुक्र के स्वभाव के बारे में
शुक्र सौर मंडल का सबसे चमकीला ग्रह है। पुराण के अनुसार शुक्र को महर्षि भृगु के पुत्र के रूप में जाना जाता है। जिस प्रकार देवताओं का आचार्य बृहस्पति है, उसी प्रकार दैत्योंका आचार्यशुक्र है। सभी दानव शुक्र कोअपने आचार्य के रूप में सम्मान देते हैं। बुध, शनि, राहु और केतु उसके विशेष मित्र हैं। सूर्य और चन्द्रमा को यह अपना जानी दुश्मन मानता है, जबकि मंगल और बृहस्पति न तो उसके मित्र हैं और न ही शत्रु हैं;अर्थात् उससेसमभाव रखते हैं। शुक्र कोशुभग्रह माना गया है। इसकी स्वराशि वृष और तुला है। यह मीन राशि के २७ अंश तक परम उच्चस्थ अर्थात् उच्च का तथा मेष राशि के २७ अंश तक परम नीचस्थ अर्थात् नीच का माना जाता है। तुला राशि पर यह बहुत अधिक बलवान् हो जाता है।
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