Sunday, March 16.
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    ज्योतिष से जानिए शनि के अनिष्ट प्रभाव के निवारण के उपाय

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    ज्योतिष से जानिए शनि के अनिष्ट प्रभाव के निवारण के उपाय 

    शनि को बलवान् करने से इसकी दृष्टि वहां अधिक हानि करती है, जहां पड़ रही हो, तो भी कुछ एक अवस्थाओं में शनि का बलवान् करना जीवन देता है और ऐसी हालत में उसको बलवान् करना बहुत जरूरी हो जाता है।
    उदाहरण के लिये कर्क लग्न हो और शनि कुंडली के नौवें घर में मान राशि में सूर्य के समीप हो और मंगल आदि पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो इसका तात्पर्य यह होगा कि आयु स्थान का स्वामी और आयुष्यकारक शनि पाड़ित और निर्बल है। परिणाम यह होगा कि शनि की इस निर्बलता के कारण जातक की आयु अल्प होगी, अत: यहां शनि का बलवान् किया जाना अत्यावश्यक होगा। यद्यपि मामा के लिए और स्वयं जातक के स्वास्थ्य के लिये बलवान किया हुआ शनि अधिक हानिप्रद (नुकसानदेह) होगा।

    शनि और राहु दोनों ग्रह अपने प्रभाव द्वारा दुःख देते हैं और यह दुःख प्रायः दद का रूप ग्रहण करता है, अत: यदि शनि और राह दोनों का प्रभाव लग्ना (लग्न, चंद्रलग्न तथा सर्यलग्न) और उसके स्वामियों पर पड़ता हो तो भात (जातक) को पेट के शल की बीमारी गंभीर रूप में रहती है। शरीर के अन्य अंगों में भी दर्द और कष्ट की संभावना रहती है। . बहुत से विद्वानों का मत है कि शनि कंडली के आठवें घर में आयु को हानि नहीं करता, किन्त ऐसा तभी होता है, जब शनि आठवें घर में उच्च, स्वक्षेत्री तथा मित्र राशि में स्थित हो। यदि आठवें घर में शुक्र राशि में स्थित हो, विशेषकर मंगल अधिष्ठित राशि का स्वामी होकर तो फिर उसकी आठवें घर में स्थिति अल्पायु ही देती है। 

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