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    ज्योतिष विज्ञानं से जानिए राहु के अनिष्ट प्रभाव के निवारण के उपाय

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    ज्योतिष विज्ञानं से जानिए राहु के अनिष्ट प्रभाव के निवारण के उपाय


    जन्मकुंडली में यदि राहु अनिष्ट स्थिति में हो तो नारियल को दरिया में बहाना चाहिए ताकि अनिष्ट नष्ट हो। राहु की अनिष्ट की स्थिति में यव (जो) को कच्चे दूध में धोकर दरिया (चलते पानी) में बहाने से राहु का दोष दूर होता है।

    यदि क्षय (तपेदिक) का रोग है तो जौ को गाय के मूत्र में धोकर लाल कपड़े में बंद करके रखें और साथ ही गाय के पेशाब से ही दांत साफ करें।

    राहु की अनिष्टकारी स्थिति में मूली का दान भी लाभदायक माना : माही कोयले को दरिया में बहा देना भी इस दशा का एक टोटका है जो लाभदायक सिद्ध होता है।

    राहु के दान की वस्तुओं में सरसों और नीलम भी सम्मिलित हैं। यदि राहु अनिष्टकारी स्थिति में हो तो भंगी को दान देने से कल्याण होगा। राहु अचानक फल देता है। उसका विजली (विद्युत) और कारावास (जेलखाना) से भी संबंध है। यदि राहु आठवें घर में अनिष्टकारी हो तो खोटे सिक्के दरिया में डालने से शांति होती है। __यदि किसी कुंडली में राहु और सूर्य एक ही घर में मौजूद हों या जिस घर पर इनकी दृष्टि हो, उससे जातक को पृथक् कर देंगे। सूर्य और दोनों पापी ग्रह भी हैं और पृथक्ताजनक भी हैं। उदाहरण के लिए यदि ये ग्रह पांचवें घर में कर्क राशि में हों तो जहां ये गर्भ की हानि करेंगे वहां ये आय को भी कम करेंगे। ऐसी हालत में सूर्य और राहु से संबंधित रत्नों अर्थात् माणिक या नीलम पहनना लाभकारी न होकर उल्टा हानिकर होगा। इनकी शांति कराना ही अभीष्ट होगा।

    सूर्य की शांति का उपाय तो हम पीछे कई बार बता चुके हैं और राहु की शांति के लिये भैरव जी की पूजा, उनका मंत्र जाप, फकीरों और कोढ़ियों को भोजन कराना तथा कच्चे कोयले और सरसों के तेल आदि का दान उपयुक्त होगा।

    एक बात और भी है कि राहु की पांचवीं और नौवीं दृष्टि जिस भाव पर पड़ रही हो वहां पर राहु और सूर्य का पृथक्ताजनक प्रभाव पड़ा जानना चाहिये। ऐसी स्थिति में भावाधिपति जो बने उसका बलवान् किया जाना लाभकर होगा। मान लीजिये, यदि राह और सूर्य किसी स्त्री की जन्मकुंडली में, जिसकी मिथुन लग्न है, तीसरे घर में पड़े हुए हैं। राहु तथा सूर्य का प्रभाव तीसरे से पांचवें अर्थात् सातवें घर पर पड़ा समझा जाएगा। ऐसी स्थिति में और विशेषतया जबकि प्रभाव बृहस्पति पर भी पड़ रहा हो तो बृहस्पति (सातवें घर के स्वामी का) बलवान् किया जाना अत्यावश्यक होगा।

    बृहस्पति को बलवान् करने के लिये चांदी की अंगूठी में पीले रंग का पुखराज लगवाकर पहनने से बृहस्पति बलांवित होगा और विवाह तथा पति से संबंधित वैमनस्य आदि को दूर करने में सहायक होगा। एक बात यह भी है कि राहु सूर्य का पक्का दुश्मन है। सूर्य के साथ बैठने से राहु उस भाव को भी (अर्थात् घर को) पहुंचाएगा, जिसका कि सूर्य मालिक है। जैसे यदि धनु लग्न हो और सूर्य व राहु पांचवें घर में मेष राशि में इकट्ठे मौजूद हों, तो सूर्य को नौवें घर के मालिक के रूप में दुःख पहुंचेगा।

    दूसरे शब्दों में सूर्य को तो सोना और मणिक धारण करके बलवान् करना होगा और राहु की शांति करने या कराने के बारे में हम बता चुके हैं। शांति होने से पिता के रोग का शमन होगा। राहु और चंद्र के संबंध में यह कहना चाहिए कि यदि चंद्रमा बलवान् होगा तो राहु अपनी युति द्वारा चंद्र को हानि पहुंचायेगा।

    यदि चंद्र क्षीण हो तो उसको बहुत हानि पहुंच सकती है। यह हानि रक्तदोष रूप में, आंखों के कष्ट के रूप में, मानसिक व्यथा के रूप में भी हो सकती है जिसका मालिक चंद्र हो। ऐसी हालत में चंद्र को चांदी की अंगूठी में मोती लगवाकर पहनने से बलवान् करना होगा, ताकि उन घरों से संबंधित हानि न हो और राहु की शांति का उपाय हम बता ही चुके हैं।

    जब चंद्र और राहु दोनों पापी हों तो स्पष्ट है कि वो उस घर को हानि पहुंचाएंगे, जिसमें कि वो बैठे हैं और जिन पर उनकी नजर है। ऐसी हालत म उन-उन घरों के मालिकों से संबंधित रत्नों को धारण करना चाहिए और राहु चंद्र की शांति का उपाय करना चाहिए। . मंगल और राहु के मिलाप से हानि मंगल की ही होती है। जैसे यदि मान लग्न हो, राहु और मंगल दसवें घर में मौजूद हों तो राहु की पांचवीं धाष्ट विद्या स्थान (दूसरे घर) पर तथा दूसरे घर के स्वामी (मालिक) मंगल पर युति (मिलाप) द्वारा प्रभाव पड़ने के कारण विद्या में फेल हो जाने का डर रहेगा। ऐसी स्थिति में विद्या में कुशलता के लिये मंगल को चांदी की अंगूठी में मूंगा पहनकर बलवान् करें और राहु की शांति करें या कराएं।

    मंगल और राहु दोनों नैसर्गिक पापी ग्रह हैं। इनका प्रभाव जहां भी पड़ेगा वहां हानि ही होगी। उदाहरण के लिये मंगल और राह छठे घर में मकर राशि मस्थित है, तो इस स्थिति में ये ग्रह छठे और बारहवें घर को हानि पहुंचाएंगे। यही राहु की दृष्टि जिन घरों पर पड़ेगी उनको भी हानि पहुंचेगी।
    छठे घर के पीड़ित होने से शत्रुओं की संख्या में वृद्धि होगी और सेहत खराब इसलिए राहु और मंगल दोनों की शान्ति आवश्यक है। मंगल और शनि घर पर प्रभाव के कारण आंख में कष्ट की संभावना रहेगी, जबकि ड़ित हो। यहांचंद्र मंगल और शनि की रत्नों द्वारा शांति आवश्यक होगी। ." का दसवें घर पर प्रभाव घटनों में चोट का कारण बन सकता है।

    जबकि शुक्र चौथे घर में वृश्चिक राशि में हो । इसके प्रतिकार शुक्र को हीरा पहनकर (धारण करके) और राहु, मंगल और केतु का शान्ति आवश्यक उपाय है। राह और बुध साथ होने पर, निश्चय ही राहु बुध को पीड़ित करेगा। मान लीजिए, मेष लग्न है और राहु तथा बुध बारहवें घर में मीन राशि में पड़े हैं। इसका मतलब यह होगा कि राहु छठे घर, छठी राशि और उसके स्वामी बुध सबको पीड़ित करेगा।

    उक्त स्थिति में जातक को गुर्दो तथा अंतड़ियों के रोगों की संभावना रहती है। उपाय वो ही यानी ग्रहों की शांति, जिनका उपाय पीछे बताया जा चुका है। जन्मकुंडली में हर ग्रह का अपना महत्त्व है; राहु दैत्यों में प्रमुख है तो बृहस्पति देवताओं में मुख्य है। इसलिए राहु द्वारा बृहस्पति की बहुत हानि होती है। उदाहरण के लिये लग्न मकर है और बृहस्पति और राहु आठवें घर में इकट्ठे हैं। इस स्थिति और बृहस्पति को पीड़ित कर रहा हो तो कान की बीमारी भयानक रूप में सामने आ सकती है। ऐसी स्थिति में बृहस्पति और राहु को बलवान् करना चाहिए। उपाय बताए जा चुके हैं। अब शुक्र, शनि और राहुं के बारे में बताते हैं।

    राहु और शुक्र दोनों आपस में मित्रता रखते हैं तो भी नैसर्गिक रूप से शुक्र शुभ ग्रह है और राहु पापी ग्रह है, इसलिए शुक्र को राहु से कष्ट मिलना कोई ताज्जुब की बात नहीं है। मान लीजिए लग्न कर्क हो और राहु व शुक्र बारहवें घर में मिथुन राशि में स्थित हों। यदि राहु की पांचवीं नजर (दृष्टि) का प्रभाव फलस्वरूप जातक को मकान और वाहन का अभाव होगा। उपाय के रूप में शक्र का बलवान् होना व राहु की शांति कराना आवश्यक है।

    राहु और शनि दोनों पापी ग्रह हैं तथा पृथक्ताजनक और रोगजनक भी हैं। इनका प्रभाव जन्मकुंडली के जिस-जिस घर पर भी पड़ेगा वो रोग का कारक होगा। अर्थात् कन्या लग्न हो और शनि और राहु नौवें घर में मौजूद हों तो जहां वो राज्य की ओर यानी ऊरू व कानों में रोग का कारण भी बनेंगे। ऐसी अवस्था में नौवें और तीसरे घर के स्वामियों को बलवान् करना आवश्यक हो जाता है तथा शनि और राहु की शांति कराना भी न भूलने वाली बात होगी।

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