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    ज्योतिष से जानिए चंद्र के अनिष्ट प्रभाव का निवारण उपाय

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    ज्योतिष से जानिए चंद्र के अनिष्ट प्रभाव का निवारण उपाय

    चंद्र से चकंदी का संबंध सर्वत्र माना गया है। जब चंद्र जन्मकुंडली के किसी घर में बैठकर अपने से संबंधित वस्तुओं द्वारा कष्ट दे रहा हो, जैसे माता बीमार हो अथवा जातक को मानसिक चिंता या निर्बलता हो, अथवा फेफड़ों का कोई रोग हो, धन का नाश हो रहा हो तो चांदी को दरिया में बहा देना चंद्र से संबंधित कष्टों को निवारण करने वाला होगा।

    चंद्र जब अशुभ फल दे रहा हो तो रात को दूध या पानी का एक बर्तन सिरहाने रखकर सो जाएं और प्रातः कीकर के वृक्ष पर डाल दें। यहां चंद्र से संबंधित वस्तु पानी, दूध, चांदी का किसी-न-किसी रूप में दान करना अथवा अपने से पृथक करने के बारे में कहा गया है। यहां चंद्र से पानी, दूध और चांदी आदि का संबंध माना गया है, अत: चंद्र जब कष्टकारी हो रहा हो तो भगवान् शिव की जल, दूध आदि द्वारा पूजा लाभप्रद मानी गई है।

    चंद्र यदि लग्न में स्थित होकर अनिष्टकारी सिद्ध हो रहा हो तो लाल किताब के अनुसार दूध कभी नहीं बेचना चाहिए। जातक को प्राकृतिक जल, चावल, चांदी आदि चंद्र की वस्तुओं को धारण करना चाहिये। यह सब टोटकों की प्रक्रियाएं हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि टोटकों को निश्चित करते समय लाल किताब का रचयिता तीसरे आदि घरों में प्राकृतिक राशियों का ध्यान रखता है। जैसे यदि चंद्र (चंद्रमा) तीसरे घर में मौजूद रहकर अनिष्टकारी सिद्ध हो रहा है तो सब्ज रंग का कपड़ा लड़कियों को दान में देना चाहिए, ऐसा उपाय है। यह तीसरे घर में प्राकृतिक राशि तीन संख्या की अर्थात् बुध की है और बुध सब्ज अर्थात् हरे रंग का भी है, कपड़ा भी है और लड़की भी। अत: इस प्रकार तीसरी राशि का ध्यान यदि रखा जाए तो उपाय हेतु संगत होने का भेद समझ में आ जाता है।

    चंद्रमा यदि चौथे घर में अनिष्टकारी सिद्ध हो रहा हो तो रात को दूध नहीं पीना चाहिए। ऐसी दशा में लोगों को दूध मुफ्त में पिलाना चाहिए। जब चंद्र आठवें घर में स्थित होकर अनिष्टकारी सिद्ध हो रहा हो तो टोटके की प्रक्रिया के रूप में आप श्मशान की सीमा के अंदर स्थित कुएं का पानी अपने घर में रखें। ऐसा करना चंद्र के अनिष्टकारी फल को दूर करने वाला सिद्ध होगा।

    लाल किताब के लेखक का मत है कि शनि यदि दसवें घर में मौजूद होकर अनिष्टकारी फल प्रदान कर रहा हो तो रात्रि को कभी दूध नहीं पीना चाहिये, अन्यथा अनिष्ट में वृद्धि होती है। यह विचार इस सिद्धांत पर आधारित प्रतीत होता है कि जो ग्रह पीड़ित हो रहा है, उससे संबंधित वस्तुओं का छोड़ना तथा दान आदि में देना ही लाभप्रद है। उनका सेवन करना विपरीत प्रभाव डालता है।

    चंद्र यदि ग्यारहवें घर में मौजूद होकर अनिष्टकारी सिद्ध हो रहा हो तो टोटके के रूप में भैरव जी के मंदिर में दूध देना लाभदायक सिद्ध होगा। यहां भी चूंकि चंद्र ग्यारहवें घर की प्राकृतिक राशि कुंभ में, जो इसके शत्रु शनि की राशि का स्वामी है, भैरव का रूप है। .

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