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    मंगल और शनि के योग का आप पर प्रभाव व उपाय

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    मंगल और शनि के योग का आप पर प्रभाव व उपाय

    दो ग्रहों के योग व उपाय

    जब दो ग्रहों का योग हो तो कष्ट के निवारण के लिए किन-किन वस्तुओं का दान और किन रत्नों को धारण करना उचित है, यह जानना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। ऐसा अनेकों बार देखा गया है कि नन्मकुंडली में कोई भी ग्रह अकेले न बैठकर दो या इससे भी ज्यादा संख्या में बैठे होते हैं। ऐसी हालत में यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि ग्रहों के इस योग का फल अच्छा निकलेगा या बुरा।

    मंगल और शनि

    इन दोनों ग्रहों की युति में मंगल और शनि दोनों एक-दूसरे के पक्के शत्रु हैं, जैसे लग्न मीन हो और शनि तथा मंगल बारहवें घर में स्थित हों तो शनि द्वारा मंगल तथा दूसरे घर पर प्रभाव पड़ने के कारण धन की हानि होगी। ऐसी दशा में मंगल को चांदी/मूंगा की अंगूठी पहनकर बलवान् करें, ताकि धन-हानि से बचा जा सके।
    मंगल और शनि की युति यदि छठे स्थान में वृश्चिक राशि में हो तो भाग्य हानि का तथा राज्य हानि का योग बनाती है, क्योंकि मंगल का प्रभाव नौवें और उसके स्वामी शनि दोनों पर पड़ता है। इस स्थिति में शनि को बलवान् करना चाहिए। अर्थात् नीलम या लोहा पहनें।

    मंगल और शुक्र चूंकि दोनों नैसर्गिक पापी ग्रह हैं, उनका प्रभाव जिन भावों पर पड़ रहा हो उनके स्वामियों को बलवान् करना आवश्यक हो सकता है। उदाहरण के लिए मंगल और शनि कन्या राशि में एकादश भाव में स्थित हों तो ये एकादश (ग्यारहवे) और (पांचवे) दोनों घरों को हानि पहुंचाएंगे।

    अतः ग्यारहवें घर की हानि से बचने के लिए मंगल तथा शनि की शांति के अतिरिक्त बुध को पन्ना लगी चांदी की अंगूठी पहनकर बलवान् करें और पुत्र की प्राप्ति में बाधा को दूर करने के लिए पीले पुखराज को चांदी की अंगूठी में लगवाकर पहनें।

    नोट-शनि और मंगल के बारे में भी यही फल समझना चाहिए। मंगल की राहु और केतु से युति के बारे में हम पहले ही बता चुके हैं। 

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