असली बादशाह - ओशो
असली बादशाह - ओशो
सिकंदर हिंदुस्तान की तरफ आता था। रास्ते में उसे एक फकीर मिला डायोजनीज, बड़ी खबर थी उस फकीर की, बड़ा अनूठा वह आदमी था। एक छोर पर सिकंदर था तो दूसरे छोर पर वह था। सिकंदर ने राह से चलते वक्त सोचा कि मिलता चलूं डायोजनीज को भी। बड़ी खबर सुनी है इस आदमी की नंग-धडंग, नंगा ही वह रहता था। एक छोटे से टीन के पोंगरे में पड़ा रहता था। टीन का एक गोल पोंगरा था, उसे धक्के दे कर किसी भी दूसरे गांव में ले जाना आसान था। वह उसमें ही सोता और उसमें ही रहता, वह दोनों तरफ से खुला था। कोई द्वार दरवाजे न थे।सिकंदर ने खबर भेजी खबर पहुंचाई की जा कर कह दो कि महान सिकंदर मिलने आता है। डायोजनीज अपने उस पोंगरे के बाहर सुबह की धूप लेता था सर्दी के दिन थे। वह हंसने लगा और उसने कहा जाओ कह देना सिकंदर को जो खुद को महान समझता है उससे छोटा दूसरा आदमी नहीं है। वे सिपाही बोले बड़ी भूल की बात कह रहे हो। इसका एक ही नतीजा हो सकता है कि गर्दन तुम्हारे सिर से अलग कर दी जौ।
डायोजनीज ने कहा कि जाओ और कह देना बड़ी कठिन है यह बात क्योंकि जिस गर्दन को मेरी कोई अलग कर सकता है उसे बहुत देर पहले ही मैं खुद ही अलग की चुका हूं। कह दो सिकंदर से बहुत मुश्किल है यह बात तलवार काम नहीं कर सकेगी। क्योंकि जिस शरीर को वह समाप्त करेगा मैं जान चूका हूं कि वह मैं नहीं। खबर यह सिकंदर को कर दी गई होगी।
सिकंदर आया और उसने डायोजनीज से कहा बहुत खुश हूं तुम्हारी बातों से तुम्हारी हिम्मत और साहस से। तुम अकेले आदमी हो जिसने सिकंदर को जबाब दिया है। मैं खुश हूं। डायोजनीज ने कहा लेकिन मैं बहुत दुखी हूं। तुम्हें देख कर मेरे मन में बड़ी दया आती है बहुत दुख होता है। तुम पागल हो। सिकंदर ने पूछा क्या है मेरा पागलपन डायोजनीज ने कहा महीनों से देखता हूं फौजें चली जा रहीं हैं। क्या इरादे हैं? क्या करना चाहते हो? इतने हथियार इतने घेडे, इतने सैनिक यह क्या हो रहा है? कहां जा रहे हो? ये तो कहां जा रही हैं? सिकंदर ने कहा कि मेरा इरादा है एशिया माइनर को जितने का। डायोजनीज ने पूछा और उसके बाद? सिकंदर ने कहा कि उसके बाद हिंदुस्तान और डायोजनीज ने पूछा उसके बाद सिकंदर ने कहा पूरी दुनिया और डायोजनीज ने पूछा उसके बाद सिकंदर ने कहा फिर मैं विश्राम करूंगा। आनंद से विश्राम करूंगा।
डायोजनीज बोला बड़े पागल हो इसलिए मैंने कहा मैं अभी विश्राम कर रहा हूं आ जाओ और विश्राम करो इतनी दौड़ की क्या जरूरत है? अगर अंत में विश्राम ही करना है तो इतनी दौड़ की क्या जरूरत है? और अगर अंत में अपने पर ही लौटना है तो इतनी सारी दुनिया के भ्रमण करने की क्या जरूरत है? कहते हो आखिर में अपने पर लौट आऊंगा। अपने घर और विश्राम करूंगा। तो इतनी दौड़ नाहक समय खो रहे हो। इतनी देर और विश्राम कर ले सकते हो और फिर मेरे झोपड़े में दो के लायक काफी जगह है आ जाओ, जैसा मैं विश्राम कर रहा हूं तुम भी करो।
सिकंदर ने कहा कि बात तो तुम्हारी ठीक मालूम पड़ती है लेकिन मैं अब आधी यात्रा पर निकल आया। अब बीच से लौटना उचित नहीं। डायोजनीज बोला तुम्हें पता है आज तक किसी आदमी की यात्रा पूरी नहीं हुई। हर आदमी को बीच यात्रा से लौट जाना पड़ता है। और तुम भी बीच यात्रा से लौट जाओगे स्मरण रखना। वह क्षण नहीं आएगा जब तुम विश्राम कर सको क्योंकि वह चित्त तुम्हारा नहीं है जो विश्राम और आनंद को जान ले और तुम बीच में ही टूट जाओगे समाप्त हो जाओगे। यात्रा तो नहीं होगी पूरी तुम पूरे हो जाओगे। और यही हुआ सिकंदर भारत से वापस लौटते वक्त घर तक नहीं पहुंच पाया। बीच में समाप्त हो गया।
फिर तो बड़ी अजीब एक और घटना घटी और वह ये कि जिस दिन सिकंदर की मृत्यु हुई संयोग की बात उसी दिन डायोजनीज की भी मृत्यु हुई। और सारे यूनान में एक कहानी प्रचलित हो गई की मरने के बाद दोनों वैतरणी पर मिल गए स्वर्ग में। जब वे वैतरणी पार करते थे, नदी पार करते थे, स्वर्ग के प्रवेश के लिए तो वहां उनका मिलना हो गया वे एक ही दिन मरे थे। सिकंदर थोड़ी देर पहले मरा था और डायोजनीज थोड़ी देर बाद। सिकंदर आगे था डायोजनीज पीछे था। पैरों की आवाज सुन कर और किसी की हंसने की आवाज सुन कर सिकंदर को ख्याल आया यह हंसी तो पहचानी हुई मालूम पड़ती है। लौट कर उसने देखा हैरान हुआ वही फकीर था। और तब सिकंदर बहुत डर आया। उसकी कल्पना न थी कि इस आदमी से फिर मिलना हो जाएगा। उसकी घोषणा सच साबित हुई थी यात्रा अधूरी समाप्त हो गई थी और सिकंदर ने दुनिया तो जीत ली थी लेकिन विश्राम नहीं कर पाया था।
शायद डायोजनीज इसीलिए हंस रहा था। लेकिन अपनी झेंप और अपनी हीनता मिटना को सिकंदर ने जोर से खुद भी हंसा और चिल्ला कर कहा कि बड़ी खुशी की बात है डायोजनीज हम दोनों का फिर मिलना हो गया। एक बादशाह का एक फकीर से फिर से मिलना हो गया। डायोजनीज और जोर से हंसने लगा और उसने कहा कि तुम ठीक ही कहते हो एक बादशाह का एक फकीर से मिलना। लेकिन थोड़ी भूल करते हो कि कौन बादशाह है और कौन फकीर है? बादशाह पीछे है और फकीर आगे। मैं सब कुछ पा कर लौट रहा हूं और तुम सब कुछ खो कर लौट रहे हो फिर कौन है बादशाह इस समय?
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