चंद्र और शनि के योग व उपाय
चंद्र और शनि के योग व उपाय
दो ग्रहों के योग व उपाय
जब दो ग्रहों का योग हो तो कष्ट के निवारण के लिए किन-किन वस्तुओं का दान और किन रत्नों को धारण करना उचित है, यह जानना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। ऐसा अनेकों बार देखा गया है कि नन्मकुंडली में कोई भी ग्रह अकेले न बैठकर दो या इससे भी ज्यादा संख्या में बैठे होते हैं। ऐसी हालत में यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि ग्रहों के इस योग का फल अच्छा निकलेगा या बुरा।चंद्र और शनि
इन दोनों ग्रहों की युति, योग या मिलाप से हानि चंद्र को पहुंचती है। विशेषकर उस दशा में जब चंद्र पक्ष बल में बली न हो और यदि राह का प्रभाव भी युति दृष्टि आदि से चंद्र पर हो तो चंद्र को बहुत हानि पहुंचती है, जिसका अर्थ होगा धन का नाश, स्वास्थ्य की हानि, रक्तदोष, आंखों में कष्ट छाती के रोग और माता को कष्ट आदि।ऐसी स्थिति में चंद्र को निश्चय ही बलवान् करना होगा और शनि की शांति करानी होगी। चंद्र की क्षीणावस्था में शनि को भी हानि पहुंचती है।
मान लीजिए, मकर लग्न है और शनि और चंद्र नौवें घर में इकट्ठे हैं, सूर्य आठवें या दसवें घर में है तो यहां शनि को चंद्र के साथ युति होने असली प्राचीन लाल किताब से हानि पहुंचेगी। फल-धन और स्वास्थ्य का नाश होगा। तब शनि को बलवान् करना आवश्यक न होगा। वो तो चंद्र को बलवान् करने से ही बलवान् हो जाएगा, क्योंकि यदि शनि को नीलम आदि के धारण करने से बलवान् किया गया तो चंद्र को हानि पहुंचेगी जो अभीष्ट न होगा।
नोट-शनि और चंद्र के बारे में भी यही फल समझना चाहिए। चंद्र की राहु और केतु से युति के बारे में हम पहले ही बता चुके हैं।
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