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    कैसे बन जाता है मंगल बद ? क्या होता है मंगल बद का परिणाम ? क्या हैं बचने के उपाय

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    कैसे बन जाता है मंगल बद ? क्या होता है मंगल बद का परिणाम ? क्या हैं बचने के उपाय 

    मंगल बद का नतीजा


    जब मंगल को चंद्र, सूर्य का साथ न मिल रहा हो तो वो मंगल नीच हो जाता है। नीच मंगल सबका दुश्मन होता है। धर्म-विरुद्ध कार्य करता है। उसकी अपनी मौत किसी हथियार से या लम्बी बीमारी से होती है। ऐसा जातक बहत  निर्दयी होता है।

    अगर ३/४ (चंद्र) की मदद न मिले तो चंद्र के घर ४. को दौलत के समद्र को भी जला दे। जब इससे बुध का साथ हो जाए तो भी बुरा असर होता है।

    जातक जब सिर्फ मंगलीक हो तो पुरुष या स्त्री पर भारी होता है; किन्त जब मंगल बद ४, ७ हो तो स्त्री या पुरुष, धन-संपत्ति दोनों का नाश कर देता है। शनि के घर में बैठा भाई पर भारी, शनि के दोनों घरों में पुत्र पर भारी, अगर मंगल और शनि अलग-अलग जगह पर बैठे हों, दृष्टि से भी न मिल रहे हों तो दीर्घायु होती है। यह ग्रह हरेक बुराई का मालिक होता है, हर काम टेढ़ा होता है।

    मंगल ४ को ही मंगल बद कहते हैं। अगर मंगल के पक्के घर ३ में चंद्र हो अथवा मंगल को सूर्य या चंद्र की मदद हासिल न हो रही हो, बुध का संबंध हो रहा हो।

    सांप का काटा (शनि का बुरा असर) तो बच सकता है, मगर मंगल बद का मारा हआ कभी नहीं बच सकता। मंगल बद जातक की धन-सम्पति को तो नष्ट करता ही है, उसके दीन-ईमान को भी नहीं बख्शता। मां-बाप, औरत की सेहत का हाल मंदा, उनकी बेइज्जती करने वाला होता है।

    जातक की औरत को बीमारी की लत लग जाए, उसका बच्चा ८वें या १८ वें साल में चल बसे, खुद जातक की मौत लम्बी बीमारी से या किसी घातक हथियार से होती है।

    उपाय-चंद्र की मदद लेकर मन को शांत किया जा सकता है। 

    कैसे बन जाता है मंगल बद



    • सर्य अकेला कुंडली के ६/७/१०/१२ वें घर में हो। . 
    • शुक्र ९वें घर में हो।
    • बुध-केतु के साथ मंगल हो। 
    • राहु ५/९वें घर में और केतु ३/६वें घर में हो।
    • सूर्य के बिना मंगल, जब सूर्य की मदद मंगल को न मिले। 
    • मंगल के १४८वें घर में सूर्य की रोशनी न हो रही हो।।
    • सूर्य, शनि, शुक्र, बुध, शुक्र ९वें घर में हों तो भी मंगल बद हो जाता


    जब मंगल बद का असर पुरुष ग्रहों (सूर्य, बृहस्पति) के घरों, सूर्य ५वें घर में और बृहस्पति २/५/९/११वें घर में पड़ रहा हो तो अपने सगे-संबंधियों पर उसका नीच असर हो जाता है।

    मंगल बद पापी ग्रहों के साथ बुध, शुक्र के सामने वाले घरों में आ जाए, तो मान-सम्मान को धक्का लगता है।

    जब शुक्र, चंद्र के सामने वाले घरों में या स्त्री ग्रहों के घर में हो तो औरत को दुःख.होता है। लड़ाई-झगड़ा उठ खड़ा होता है।

    मंगल बद के वक्त अगर बुध दूसरे घर में हो तो जातक लड़ाई में मारा जाए, बुध तीसरे घर में हो तो एय्याश, बुध चौथे घर में हो तो नजूमी, बुध पांचवें घर में हो तो अक्लमंद, बुध छठे घर में हो तो हक्मरान और बुध दसवें घर में हो तो दौलतमंद होता है।

    चाहे मंगल को चंद्र, सूर्य, बृहस्पति की मदद मिल जाए, किन्तु (शनि, मंगल) के दुश्मन ग्रह (बुध, शुक्र) का साथ हो जाए (मंगल के साथ) तो भी मंगल बद हो जाता है। मंगल बद का असर कायम ग्रह के लोगों पर होता है।

    जब मंगल बद पाप ग्रहों के साथ अपना असर पुरुष ग्रहों के घर पहुंचा रहा हो तो पुरुषों की अपेक्षा धन-सम्पत्ति पर बुरा असर पड़ता है। जब मंगल बद स्त्री ग्रह (शुक्र, चंद्र) के घरों में बैठ जाए या आमने-सामने नजर से आ जाए, तो औरतों को दुःख-तकलीफ, नाश, लड़ाई-झगड़ा खड़ा कर देता है।

    उपाय 


    • पूजादि के वक्त मगछाला का इस्तेमाल करें। 
    • तीनं धातु से बनी अंगूठी पहनें।
    • बताशे या रेवड़ियां चलते पानी में बहाएं।
    • मीठी तंदूर की रोटियां भूखे कुत्ते को सुबह के वक्त खिलाएं।


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