मोती रत्न का इतिहास
बादशाहनामा के लेखक ने शाहजहां की दो तसबीहों का वर्णन किया है जिनमें 125 मोती थे और दो मोतियों के बाद एक याकूत का दाना था। दोनों तसबीहों के बीच के मोती का वजन 32 रत्ती था, जिसकी कीमत 40 हजार रुपये थी (बादशाहनामा पृ० 392)। मोती कभी तकमें (बन्धों) में भी लगाया जाता था।
जहांगीर ने अपने 18वें साल-ए-जलूस में शहजादा शहरयार को खलअत में एक कबा-ए-नादरी (कबा-एक विशेष प्रकार का लिबास जो आगे से खुला होता है) दी तो उसका एक तकमा एक कीमती मोती का था। जब किसी को शाहाना खलअत दिया जाता तो उसमें मोती जरूर होता था। मोती इतनी दरियादिली से इनाम में दिए जाते थे कि शहजादों और दरबारियों के अलावा अन्य लोग भी इस इनाम से सरफराज हुआ करते थे
No comments