सूर्य और मंगल के योग का आप पर प्रभाव व उपाय
सूर्य और मंगल के योग का आप पर प्रभाव व उपाय
दो ग्रहों के योग व उपाय
जब दो ग्रहों का योग हो तो कष्ट के निवारण के लिए किन-किन वस्तुओं का दान और किन रत्नों को धारण करना उचित है, यह जानना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। ऐसा अनेकों बार देखा गया है कि नन्मकुंडली में कोई भी ग्रह अकेले न बैठकर दो या इससे भी ज्यादा संख्या में बैठे होते हैं। ऐसी हालत में यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि ग्रहों के इस योग का फल अच्छा निकलेगा या बुरा।सूर्य और मंगल
यदि इन दोनों ग्रहों का योग हो और मंगल शुभ भावों का स्वामी हो तो उसकी सूर्य से युति मंगल के बल को कम कर देगी और मंगल उस घर के लिए जिसका कि वो स्वामी है, हानिकारक सिद्ध हो सकता है।ऐसी स्थिति में मंगल को बलवानं करना बहत आवश्यक हो जाएगा।
यहां और अंयत्र भी जब हम कहें कि किसी ग्रह का आधिपत्य शुभ है, तो हमारा तात्पर्य यह समझना चाहिए कि उस ग्रह की मूल त्रिकोण राशि जन्मलग्न से शुभ स्थान में पड़ती है। - कुंडली के लग्न, दूसरे, चौथे, पांचवें, नौवें, दसवें तथा ग्यारहवें घर शुभ स्थान समझने चाहिए।
उदाहरण के लिए यदि लग्न मीन हो और सूर्य तथा मंगल कहीं इकट्ठे पड़ें हों तो धनाधिपति मंगल सूर्य के साथ होकर निर्बल होगा और इसको. चांदी की अंगूठी में मंगा लगवाकर पहनने से धन प्राप्ति में सहायता मिलेगी।
यहां सोने की अंगठी में मंगा लगवाना उपयक्त न होगा, क्योंकि सोने का द्योतक सूर्य है। अतः सोना पहनने से सूर्य बलवान् होगा, लेकिन मंगल को आगे से हानि करेगा।
नोट-मंगल और सूर्य के बारे में भी यही फल समझना चाहिए।
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