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    अकबर के शाही खजाने में था 103 रत्ती का रूबी

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    अकबर के शाही खजाने में 4 टांक बजाने में 4 टांक और 72 सुर्ख (103 रत्ती) का एक रूबी  था। उसकी कीमत 50 हजार रुपये थी (आईने अकबरी जि० I आईन III)। रूबी  प्राय: खंजर के दस्तों को सजाने और अंगूठी में जड़ने के लिए प्रयोग होता था। मीर जमालउद्दीन हुसैनी ने जहांगीर को उसके 13वें साल-ए-जलूस में नजराने दिए उसमें एक खंजर भी था जिस पर एक कीमती रूबी  जड़ा था। इसीलिए उस खंजर की कीमत 50 हजार रुपये हो गई थी (तज० जहां० पृ० 157)।

    उसी साल शहजादा खुर्रम ने जहांगीर को उसके 13वें साल-ए-जलूस में नजराने लिए उसमें एक खंजर कभी था जिस पर एक कीमती रूबी जड़ा था। इसीलिए उस खंजर की कीमत 50 हजार रूपये हो गई थी (तज० जहां० पृ० 157)। उसी साल शहजादा खुर्रम ने जहांगीर को एक रूबी  दिया जिसकी कीमत 40 हजार रुपये थी (तज० जहाँ० पृ० 266)। बीजापुर के हुमुमरां कुतुबुलमुल्क से शाहजहां ने रूबी  की एक अंगूठी ली थी जिसकी कीमत 50 हजार रुपये लगाई गई थी (बादशाहनामा जिल्द प्रथम पृष्ठ 209)।

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