परमात्मा भाषा नही भाव का भूखा है - ओशो
परमात्मा भाषा नही भाव का भूखा है - ओशो
बात भाव की है, भाषा की नहीं है। अंतर्तम की है। क्या कहते हो, कैसे कहते हो, व्याकरण सही है कि गलत--इस चिंता में मत पड़ना। परमात्तमा कोई स्कूल का शिक्षक नहीं है कि पहले व्याकरण की शुद्धियां करेगा, पहले भाषा ठीक जमाने को कहेगा। परमात्तमा तुम्हारा भाव समझ लेगा। न कहो तो भी चल जाएगा। चुपचाप मौन खड़े हो जाओ तो भी चल जाएगा।*
आंखें अगर दीये बन जाएं तो और क्या चाहिए! बस ये दो आंखें उसकी प्रतीक्षा में, उसकी प्रार्थना में डूब जाएं तो दीये बन जाती हैं।
-ओशो
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