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    बार बार की जाने वाली भूल वास्तव में भूल नहीं - ओशो

     बार बार की जाने वाली भूल वास्तव में भूल नहीं - ओशो

              मनुष्य यदि पाप कर बैठे तो पुनः-पुनः न करे।’ हो जाए पाप, तो कोई बहुत चिंता की बात नहीं। मनुष्य है, भूल स्वाभाविक है। लेकिन उसकी पुनरुक्ति न करे। पाप क्षमा योग्य है, पुनरुक्ति क्षमा योग्य नहीं है। भूल क्षमा योग्य है, लेकिन उसी-उसी भूल को बार-बार करना क्षमा योग्य नहीं है। तुमसे एक बार भूल हो गयी, समझो, अब उसे दोहराओ मत। अगर भूल को तुम दोहराते हो, तो फिर तो भूल धीरे-धीरे भूल मालूम ही न पड़ेगी। तुम्हारे जीवन की सामान्य प्रक्रिया हो जाएगी।

    - ओशो

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