सत्य विशेषण शून्य है - ओशो
सत्य विशेषण शून्य है - ओशो
!! अनंत !!सत्य के हम होते हैं,
सत्य हमारा नहीं होता।
सागर नदियों का नहीं होता,
नदियां सागर की हो जाती हैं।
सत्य तो बस सत्य है।
न हिंदू का, न मुसलमान का,
न ईसाई का, न जैन का, न बौद्ध का।
अव्याख्य, अनिर्वचनीय है।
विशेषण—शून्य है।
और जिस दिन ऐसा सत्य दिखे,
जानना उस दिन ही मुक्ति करीब आयी।
ऐसा सत्य ही मुक्त करता है।
जब तक हिंदू हो, बंधे रहोगे।
मुसलमान हो, जकड़े रहोगे।
ईसाई हो, कारागृह में पड़े हो।
जैन हो, जंजीरों में हो।
जिस दिन जैन, हिंदू, ईसाई,
बौद्ध, ये सारी सीमाएं पीछे छूट जाएंगी,
सत्य केवल सत्य रह जाएगा,
उस दिन ही जानना आकाश मिला,
असीम मिला, अनंत मिला।
और अनंत में ही मुक्ति है।
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