देह परमात्मा की भेंट है- ओशो
देह परमात्मा की भेंट है- ओशो
मैं अपने संन्यासी को कहता हूं: देह सुंदर है, देह प्यारी है, परमात्मा की भेंट है। उसकी सुरक्षा करो, उसकी उपेक्षा न करना। लेकिन उसमें ही खो भी मत जाना। और इस डर से कि कहीं खो न जाएं, उससे लड़ने मत लगना, अन्यथा लड़ाई में खो जाओगे। देह को अंगीकार करो। देह को स्वीकार करो। और देह को ही सीढ़ी बना लो उसकी तलाश में, जो देह के भीतर छिपा है और देह नहीं है।
देह मरेगी। देह ही जन्मी है, देह ही मरेगी; तुम न तो जन्मे, तुम न मरोगे। तुम शाश्वत हो। मगर उस शाश्वत की थोड़ी झलक मिले तो फिर मृत्यु आनंद हो जाए। फिर मृत्यु में विषाद नहीं है, फिर मृत्यु तो परमात्मा का द्वार हो जाती है।
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