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    प्रकाश पर ध्यान - ओशो

     प्रकाश पर ध्यान - ओशो

    प्रकाश पर ध्यान - ओशो 

    ।। ध्यान विधी ।।
    प्रकाश पर ध्यान

                जितना अघिक आप प्रकाश पर ध्यान करेंगे, उतना अघिक आप चकित होंगे कि भीतर कोई चीज खुलने लगी है, जैसे कि कोई कली खिलने लगी हो और फूल बनने लगी हो।
               प्रकाश पर ध्यान करना बहुत ही प्राचीनतम विधियों में से एक है। सभी युगों में, सभी देशों में, सभी धर्मो में, एक विशेष कारण से इसे महत्व दिया गया है। क्योंकि जिस क्षण आप प्रकाश पर ध्यांन करते है, कुछ जो आपके भीतर एक कली की तरह रुका हुआ था, अपनी पंखुड़ियों खोलने लगता है। प्रकाश पर ध्यान करना ही उसके खुलने के लिए एक परिवेश निर्मित करता है।

              तो इसे ही अपना ध्यान बना लें। जब भी आपको समय मिले, अपनी आंखें बंद कर लें और प्रकाश का भाव करें। जहां भी आपको प्रकाश दिखे, उसमें डूबे। उसके प्रति उपेक्षापूर्ण रूख न रखें। उसके प्रति भक्तिभाव रखें। चाहे वह सूर्योदय हो, या कमरे में जलती एक साधारण सी मोमबती हो, लेकिन आप उसके प्रति प्रार्थनापूर्ण भाव रखें। और आपको बहुत लाभ होगा।

               यदि कोई प्रकाश के सा‍थ निरंतर अनुकूलता अनुभव करता रहे तो बहुत आशीर्वाद बरसते है।
    ध्यान विज्ञान

    -ओशो

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