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    वृक्ष से मैत्री - ओशो


    वृक्ष से मैत्री - ओशो 

    ।। ध्यानविधी ।।
    वृक्ष से मैत्री
          किसी वृक्ष के पास जाएं, वृक्ष से बातें करें, वृक्ष को छुएं, वृक्ष को गले लगाएं, वृक्ष को महसूस करें, वृक्ष के पास बैठें और वृक्ष को भी महसूस होने दें कि आप एक अच्छे आदमी है और आपकी आकांक्षा उसे चोट पहुंचाने की नहीं है।
          धीरे-धीरे मित्रता बढ़ेंगी और आप महसूस करेंगे कि जब आप आते है, तत्क्षण वृक्ष की भाव-दशा बदलती है। आपको बिलकुल पता चलेगा। जब आप आएंगे तो वृक्ष की छाल पर बहुत उर्जा का प्रवाह अनुभव होगा। आपको स्पष्ट बोध होगा कि जब आप वृक्ष को छूते है, तो वह एक बच्चे की तरह, एक प्रियतम की तरह आनंदित होता है। जब आप वृक्ष के पास बैठेंगे तो आपको कई चीजें खयाल में आने लगेंगी; और शीघ्र ही आप महसूस करेंगे कि यदि आप उदास हैं और वृक्ष के पास आए है तो वृक्ष की उपस्थिति मात्र में आपकी उदासी खो गई।
           और केवल तभी आप समझ सकेंगे कि हम सब परस्पर निर्भर हैं। हम वृक्ष को आनंदित कर सकते है और वृक्ष हमें आनंदित कर सकता है। और यह पूरा जीवन ही परस्पर निर्भर है। इसी पारस्परिक निर्भरता को मैं परमात्मा कहता हूं।
    ध्यान विज्ञान,

    -ओशो

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