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    हृदय में झांकना सीख लो - ओशो

    हृदय में झांकना सीख लो - ओशो

    हृदय में झांकना सीख लो - ओशो

               जब तक तुम मानव के हृदय में झांकना न सीखोगे, तब तक तुम पिघलोगे भी नहीं, गलोगे भी नहीं, तब तक तुम मिटोगे भी नहीं, तब तक तुम्हारे अहंकार से छुटकारा बहुत मुश्किल है। तुम दूसरे के हृदय में बहो, तो धीरे— धीरे तुम्हारा अहंकार अपने आप गल जाएगा। क्योंकि तुम पाओगे कि तुम्हारा जैसा ही हृदय दूसरों में भी धड़कता है। तब तुम पाओगे कि ठीक तुम ही, दूसरे के भीतर भी बैठे हुए हो। तब तुम्हें अपना जो दंभ है, वह व्यर्थ दिखाई पड़ने लगेगा। तब तुम्हें यह भी दिखाई पड़ना साफ हो जाएगा, यह भी दिखाई पडने लगेगा कि व्यक्ति—व्यक्ति के जो फासले हैं, वह बहुत ऊपरी हैं। भीतर शायद एक ही महा—हृदय धड़क रहा है।

               अगर हृदय में झांकना तुम सीख लो तो हृदय की जो शुद्धतम गहराई है, वह तुम्हें दिखाई पड़नी शुरू हो जाएगी। तब तुम पाओगे कि एक ही हृदय धड़क रहा है बहुत हृदयों में। फेफड़े बहुत होंगे, हृदय शायद एक ही है। और यह प्रतीति तुम्हें परमात्मा की तरफ ले जाने में एक बहुत बड़ा कदम सिद्ध होगी।

    -ओशो

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