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    भाव की दशा है आंसू - ओशो


    भाव की दशा है आंसू - ओशो 

          आंसुओ से ज्यादा पवित्र मनुष्य के पास और कुछ भी नहीं है। आंसुओ से ज्यादा प्रार्थनापूर्ण भी मनुष्य के पास और कुछ नहीं है। तुम्हारे शब्द तो थोथे हैं। तुम्हारे आंसुओ में अमृत है। तुम जब कहते हो, वह तो कही ही बात होती है; तुम जब रोते हो, तब प्राणों की होती है। असल में आंसू आते ही तब हैं, जब तुम्हारे प्राणों में कुछ ऐसे भाव उठते हैं जो शब्दों में नहीं समाते; जिन्हें शब्दों में नहीं कहा जा सकता; जहां शब्द असमर्थ हो जाते हैं। जहां शब्द नपुंसक सिद्ध होते हैं, वहीं तो आंसू बह जाते हैं।
         
          भाव की दशा है आंसू। और भाव विचार से गहरा है। भाव में डूबो। इस भावोन्माद को बढ़ने दो। ये आंसू तुम्हारी बाहर की आंखों को ही स्वच्छ नहीं करेंगे, ये भीतर की आंखों को भी स्वच्छ कर जाएंगे।

     - ओशो 

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