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    निखट्टू मछुआ - ओशो


    निखट्टू मछुआ - ओशो 

          एक मछली की दूकान के सामने मुल्ला नसरुद्दीन खड़ा था। थोड़ा दूर हटकर, रास्ते पर परिचित मछली बेचनेवाला!
          उससे उसने कहा कि 'भैया, जरा दो-तीन बड़ी मछलियां मेरी तरफ फेंको तो।'
          उस दूकानदार ने कहा, 'फेंकने की क्या जरूरत है? तुम पास आ जाओ, इतनी दूर क्यों खड़े हो? मछलियां तुम्हें हाथ में ही दे दूंगा।'
          नसरुद्दीन ने कहा कि 'नहीं, उसके पीछे कारण हैं। मैं दुनिया का सबसे बड़ा निखट्टू मछुआ हो सकता हूं, लेकिन झूठा आदमी नहीं। तुम फेंकोगे, मैं पकडूंगा, तो घर जाकर पत्नी से कह सकूंगा कि मैंने इन्हें स्वयं पकड़ा है।'
    दीया तले अंधेरा,

    -ओशो

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