धर्मगुरु निश्चित ही बुद्धू हैं - ओशो
धर्मगुरु तो हैं पंडित, पुरोहित, मौलवी, अयातुल्ला खोमैनी, पोप पाल, पुरी के शंकराचार्य, ये सब धर्मगुरु हैं। और ये धर्मगुरु निश्चित ही बुद्धू हैं। इसमें मैं जरा भी संकोच नहीं करता हूं। मैं सत्य को बिलकुल नग्न ही कह देना पसंद करता हूं। ये अगर बुद्धू न होते तो धर्मगुरु न होते। आदि शंकराचार्य धर्म हैं, मगर ये नकलची हैं। ये कोई शंकराचार्य हैं? ये कार्बन कापियां हैं। और इस जगत में इससे बड़ा कोई अपमान नहीं है आदमी का कि वह कार्बन कापी हो जाए। प्रत्येक व्यक्ति मौलिक है। और मौलिक होने में ही उसका अपना गौरव है। और अपने गौरव में ही परमात्मा का गौरव है। जो कार्बन कापी होकर रह जाता है, वह दो कौड़ी का हो जाता है।
- ओशो
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